जब भारत में गो बैक कोरोना, मोमबती जलाने और ताली- थाली पीटने से कोरोना नही भागा तब मंत्रीगण गंभीर हो गए। एक निश्चित दिन सभा के आयोजन की तारीख , गोवा से हॉट कैलेंडर मंगवा कर देखा गया। शुभ दिन आया शुक्ल पक्ष में 13 दिन अंधार जाने पर सूर्य देव के आसमान में 45 डिग्री ताप के रहने पर 25 तारीख को। महाराज का आगमन हुआ सभी चेले- चपाटीयों ने उच्च ध्वनि विस्तारक यंत्र से जय जयकार लगाया , महाराज की जय । महाराज ने इशारा किया सभी मंत्रीगण आसन पर बैठ गए । थोड़ी देर बाद एक गंभीर और मोटा आदमी खड़ा हुआ। देख कर ऐसा लगता , अगर उस पर कोई मुसीबत फेंकी जाए तो वह अपने पेट से ही रोक लेगा। वह बोला – महाराज कोरोना राक्षस हमारे जनता को निगल रहा है । इसका अत्याचार रोका नहीं गया तो हमारे परिवार नियोजन के सभी योजना धरे के धरे रह जाएंगे । आप परिवार नियोजन के पोस्टर पर नजर आएंगे और तब हमे अपने विकास की गाथा ,विकास रथ से प्रचार करना पड़ेगा। इधर भोंपा से मधुर संगीत सुनाई दे रहा था, दिल ढुढ़ता है फुर्सत के रात दिन । गीत सुनकर मन वाह कि जगह आह भर रहा था-नही चाहिए अब फुर्सत के रात-दिन। कैसा समय आ गया, दिल था जो मानता ही नही था अब मान गया है। कोरोना से दिल के मरीज का भी पता चला है। जो आशिक बेचैनी ,बेकरारी, तन्हाई से नही डरते थे वो कोरोना से डर रहें हैं। दिल का आलम सभी का एक ही जैसा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब सामने वाले से पुछने वाले का हाल मिला है। लेकीन कोरोना का स्टेटस किसी का किसी देश से नही मिल रहा है।ईधर महाराज गंभीर मुद्रा को तोड़कर फिर गंभीर हो गएं, फिर बोलें – इसे रोकने का क्या उपाय है। सभा में उपस्थित राजगुरु ने कहा – हमारे देश में पहले से ऐसे कई बीमारीयों का प्रकोप हुआ है । कुछ राक्षसों ने मानव को परेशान किया है तब उस समय यंज्ञ करने से सभी संकटों का समाधान हो जाता था। देवता गण हमारी रक्षा करते थे। महाराज खुश होकर बोले- तब ऐसा ही हो। नारद जी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आए तो देखा , हर घर में हवन हो रहा है । वे भागे- भागे इंद्रदेव के पास गए और कान भर दिए नारायण – नारायण एक गरीबी से उठकर राजा बना मनुष्य अपनी प्रसिद्धि और इंद्रलोक के लिए यज्ञ कर रहा रहा है । अगर उसे रोका नहीं गया तो आपकी लोक भी जीत लेगा और जनता सहस्त्र समर्थन कर देगी। यह सुनकर इंद्रदेव क्रुध हुए । उन्होंने मेघ देवता से बारिस बरसाने को कहा। सभी हवन कुंड पानी में बह गए। चारो तरफ जल ही जल। जल ही जीवन है कि जगह जल ही प्रलय हो गया। देवताओं के गुरु बृहस्पति ने कहा – मानव कोरोना के समाधान के लिए यज्ञ कर रहा है ,मूर्ख! तब तक सड़को पर नाव चल रही थी। सभी देव विष्णु भगवान के पास गए उन्होंने अपने शक्ति से कोरोना देव को निर्मित किया । कोरोना देव घेंघे की सवारी कर स्वर्ग लोक से प्रस्थान कर दिएं है। आशा है नया साल तक जरूर पहुँच जाएंगे।
– धर्मेन्द्र कुमार निराला निर्मल
सुन्दर प्रस्तुति |
बधाई ..
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आपका स्नेह बना रहे सर जी
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Reblogged this on Nelson MCBS.
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Nice blog
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Thank you very much
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Nice sharing.
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