अरे, इस दुःख को पकड़ लो
वरना ये फैले जाएगा
जितना ढीला छोड़ोगे इसे
उतना ही
ये फिसले जाएगा
सर्प दंश है ये
मन मस्तिष्क को नीला कर डालेगा
मजुबुती से जो पकड़ा इस को
फिर अपने मे सिमटता जाएगा
आसान नही होता इतना
पर डरना मत इससे
इस बार गिरफ्त मे आया तो
अब जाऊँ कहाँ
भागूं कैसे
ये खुद ही कांपने
लगता है
बस हिम्मत से
पकड़ लो तुम इसको रेतीली
मिट्टी-सा
मुठ्ठी से फिसलकर जाएगा ।
———— रमा बेरी
Sir bahut aachha
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thanks
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