
समय सभी का आता है सभी का जाता है। इंसान का समय आता है तो कॉकटेल पीता है तो उसे ‘क्वारेटीन’ कह दिया जाता है । जब दुख आता है तो रोता है लेकिन शब्द कैसे रोए , किस बीयर बार में अपने दुख का शोक मनाए। आजकल दुख का शोक मनाने का नया ट्रेण्ड चल रहा है। बुड्ढा मरा तो शमशान में सोमरस का आनंद लिया जा रहा है। चलो इस बुड्ढे से छुट्टी हुई ।बहुत धन छोड़ गया। यह मानसिकता बदलनी चाहिए। उधर कई महीने से हाई-फाई को क्वांरेटाइन कर दिया गया है। इसकी जगह एल्बो-बम्प ने ले ली है। अब हाई-फाई किससे अपना दुखरा रोए।उसे डर है लोग कहीं उसे कोविडियट ना कहने लगे । न-न ऐसा वो काम नहीं करेगा ।वह हाई-फाई है, हाई-फाई रहेगा । संसार को कोविड-19 से बचाएगा। हाई-फाई , वाईफाई नहीं बनना चाहता है । जिससे सभी गठबंधन कर लें। वह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेगा। कवरेज एरिया से बाहर रहेगा – हाई-फाई ।वैसे हाई-फाई लोग हमेशा लोगों से घिरे रहते हैं।

लेकिन वे वाईफाई नहीं बनते । बनते भी हैं तो पल भर के लिए ।कॉमेडी नाइट विद कपिल शो में हाई-फाई ,पल भर के लिए गोद में उठा लेता है , थोड़ी डांस कर लेता हैं । फिर कहा जाता है जा लेमिनेशन करा लेना। इससे जिंदगी भर खुश्बु आएगी। लाइव स्टेज के सामने कोई बंदा आता तो उसे हुरदंगी बोल देतें हैं या उत्पाती ।जी नहीं माने तो खुराफाती भी बोलते हैं। इससे भी बन्दा नही माने तो लात-घुसा से भूत उतार देते हैं। लेकिन अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान बाधा डालने वालों खुरापाती को जूम- बाॅम्बिंग बोलते हैं।अगर उसे ठीक से समझ आया तो ठीक , नहीं तो वह खुद को बॉडीबिल्डर समझ लेगा। उसे गर्व होगा अपने बॉडी पर।लेकिन ऐसे इडियट, 3 इडियट की तरह होते है। इन से हर कोई परेशान रहता है। ये बीमार होते भी नहीं कि लोगो के जान में जान आए। इनके लिए कोई नियम कानून नहीं होता है। ये खुद ही घोषणा कर देते हैं- हम नहीं सुधरेंगे ।और तो और अपने टी-शर्ट पर लिखवा कर घूमते है- हम नही सुधरेंगें। ये नियम- कानून का सरेआम उल्लंघन करते हैं।ये सही मे कहना चाहते हैं-आ बैल मुझे मार। लेकिन बैल है कि उसका पुँछ नही है।इसलिए कोई इसे पुँछीयाता नही है।बीच-बीच मे पुँछीयाने से बैल सही दिशा मे गमन करता है। अब यही इडियट ,कोविडियट हो गएँ हैं।
अब इन पर फिल्म भी बन सकती है- थ्री कोविडियट। अब देखना है, बॉलीवुड में कौन कोविडिएट बनना चाहता है। अगर आप ऐसी खबर तलाशते हैं जिससे आपकी डिप्रेशन बढ़ जाए तो ऐसे कृत्य को डूमस्क्रोलिंग कहा जा रहा है। धन्य हो अंग्रेजी साहित्य कि जो अपने इंग्लिश शब्दों को बढ़ा रहा है। अंग्रेजी साहित्य नए – नए शब्द गढ रहा है:- हाइड्रोक्सीक्लोरो क्वीन, डेक्सामेथासोन, कम्युनिटी ट्रांसमिशन , कम्युनिटी स्प्रेड। और एक हिंदी साहित्य है जिसे शब्द नहीं मिल रहे हैं।
— धर्मेन्द्र कुमार निराला निर्मल
मस्त लगी
LikeLike