
जब सोता हूँ तो ऐसा नहीं है कि मैं करवट नहीं बदलता, बदलता हूँ भाई । पूरे रात बदलता हूँ। लेकिन मच्छरों का योग इसमे अधिक होता है। सुहाने सपने जो देखा तभी एक मच्छर पैरों पर काटा। उसने नींद खराब कर दिया, इतने मच्छर क्यों पैदा हो गए देश मे ! इतने की नींद हराम कर दिया है । कान के पास आकर गुनगुनाते रहते हैं ।कुमार सानू के नाईन्टी के गीत गाते होंगे कि हनी सिंह के पाॅप म्यूजिक मुझे नहीं पता। कई बार कानों को घायल कर उनके गीतों की भाषा समझने की कोशिश की लेकिन कुछ समझ नहीं आया। कई बार मच्छरदानी में घुसे मच्छर को मारने की असफल कोशिश कर चुका हूँ लेकिन हर बार पलंग से गिरकर अपने ही टांग तोड़ा लिया । बड़े शैतान हैं ये।
जमाना क्या से क्या हो गया अब मच्छरदानी में मच्छर नहीं फंसते , चूहे दानी में चूहा और साबूदानी में साबुन नही ठहरता। दानी शब्द की खोज किसने की है भाषा विज्ञानी को मेरी सलाम। मेरी भी इच्छा हुई कई बार कि दानी बनु लेकिन मछरदानी, चूहे दानी नहीं। आज कल मास्क दानी लोगो का बहुत फोटू छप रहा है। दानी से कई शब्द बन जाता है , शायद आप खोज भी रहें होंगे लेकिन आश्चर्य है, मच्छर कोई दान नहीं करता बल्कि इस दानी में फंसकर कालकलवित हो जाता है।

कई दिनों से एक चूहा परेशान कर रहा था ।मालकिन बोली बाजार से एक चूहा दानी लेते आइएगा । बड़ा परेशान कर दिया है। रात भर देहीया पर मैराथन मचा रखा है । रजाई में कभी – कभी घूस जाता है ।जब रजाई वाली बातें सुना तो मेरा खून खौल उठा। छोटा जीव और इतनी हिम्मत। रणबांकुरे की गृहस्वामिनी को एक चुहा परेशान कर रहा है। तभी मेरा ख्याल उस कहानी पर चली गई जिसमे शेर , चूहे को अपने पंजे में दबाकर क्रोध में बोला- मैं तुम्हे मार डालूंगा, तभी चूहा गिरगिराने लगा- मुझे माफ कर दीजिए जहाँपनाह। मैं किसी दिन आपका काम आ जाऊंगा । मैं भी यही सोच रहा था जो आज फिर एक चूहा मेरे सामने गिरगिराएगा लेकिन मैं छोडूंगा नही । यह अपराध अक्षम्य है ।

जिस घर में मच्छर और चूहा अपना घर बना ले समझना चाहिए उस घर से शांति दूर चली गई। काम का सारा गणित बिगड़ जाता है। घर में फूट पड़ जाता है। कारण है, बहुओं की नींद पूरी नहीं होने पर वे देर से जगेंगी। इस पर सास ताना मारेगी फिर एक दिन सहते- सहते एकता कपूर के सीरियल की तरह सास- बहू अलग हो जाएंगी। ये मच्छर, भारतीय एकता के दुश्मन हैं। सामाजिक बंधन के दुश्मन हैं। इन्ही मच्छरों के कारण एकल परिवारों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है । जब-जब डीडीटी का छिड़काव होता है तो मच्छर बादल में घूमने का आनंद लेते हैं मरते नहीं बल्की खुश होकर नाचते हैं । गैस के साथ हिल मिल गएं हैं , दोस्ती कर लिए हैं । मालूम है कि उन्हें कुछ नहीं होगा । इसमे भी कोई केमिकल लोचा है।
– धर्मेन्द्र कुमार निराला निर्मल
Amazing🌺😊
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Thank you very much
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😂😂 बहुत बढ़िया।👍
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Thank u very much
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