
जीवन की जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजमर्रा की चीजों को खरीदते हैं , खरीदते ही नहीं बेंचते भी हैं। बेंचते क्या है। वह जो बिक जाए , हां जो बिक जाय। मतलब आप भी अगर बिक जाए तो आप भी बिकाऊ माल हैं। भले आपका कीमत बहुत ज्यादा हो एक आम आदमी से। लेकिन आप भी बिकाउं हैं। लेकिन आप मानते नहीं है। आप जितना ऊंचे उहदे पर होते हैं, उतना ज्यादा कीमत आपकी लगती है। आज हर कोई जनधन खाता से जुड़ना चाहता , क्यों ? क्योंकि इसमें जनता का माल ज्यादा है । आप आसानी से चपट कर सकते हैं । सबको मालूम है आप ऐसे लिंक से जुड़ गए हैं। जिसमे हर रोज जेब गर्म हो रही है। और उस गर्मी से आपको चिकुनगुनिया भी नहीं होती। मजे की बात है किसी को पता भी नहीं चलता । आप हर रोज बिकते हैं । खरीदने वाला आपके पास खुद आता है । कुछ मोलभाव कर कर खरीद लेता है। थोड़ी गड़बड़ी होती है, तो डाँटता है,बेईज्जत करता है और आप हैं कि इसे व्यापार का हिस्सा मान लिए हैं। जब आप इसे एक व्यापार मान लेते हैं तब बड़े स्तर पर काम करते हैं। लोग आपको अधिक जानने लगते हैं। आपसे ऊपर के ओहदे को भी अब पैसों की हवा लगती है। आप ऊंचे दामों में बिकते हैं। कोई कहता है मैं बिकता नही हूं। मतलब उसे खरीदार मिले ही नहीं। खरीदार मिले तो दुनिया में बहुत बिकाऊ माल है लेकिन आदमी जैसा बिकाऊ माल कोई नहीं है ।यह अपनी हिफाजत खुद करता है।

आलू ,प्याज, बैगन ,टमाटर ,भिंडी के अलावा बहुत सारे सब्जियां बिकती हैं। कभी ऊंचे दाम पर, कभी निम्न दाम पर और यहां भी मानव ही खरीदता है । भला निर्जीव चीजों को अपना कीमत क्या पता । कीमत हम ही लगाते हैं । हम बिकते हैं कभी दालों के जमाखोरी पर, कभी प्याज की जमाखोरी कर के। कुछ लोगों का बिकना ऐतिहासिक होता है ।उसे इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया जाता है ।आम आदमी का कुर्ता तक नही बिकता वहीं बड़ी हस्ती का कच्छा तक बिक जाता है। किसी का कोट ,किसी का चश्मा। सबसे अधिक चाइना माल में बिकने की क्षमता होती है । वह जैसे तैसे – औने पौने दाम में बिक कर ही दम लेगा। लेकिन कब तक टिकेगा उसकी जीवनी का प्रोफाईल नहीं बना है ।कब काल कलवित होगा और चाहने वाले को रुला कर चला जाएगा कहा नहीं जा सकता।
अंत में यह कह कर संतोष होना पड़ता है कि चलो यार चाइना माल था। लेकिन दुनिया को घोर आश्चर्य तब हुआ जब कोरोना चाइना माल टिकाऊ हो गया। वहीं इसके जाने का कोई निश्चित तिथि नहीं है ।
धर्मेन्द्र कुमार निराला निर्मल
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Bilkul sahi baat
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Thank you very much
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