मोटापे का दर्द(हास्य व्यंग)

मोटापे के प्रमुख कारणों में डिप्रेशन , जीवनशैली में बदलाव , अधिक भोजन और शारीरिक श्रम कम करना है। मोटापे के कारण ब्लड प्रेशर ,शुगर और पेट की बीमारियाँ अधिक होती है। और भी तरह-तरह की बीमारियाँ हैं ।लेकिन मोटापे का दर्द ऐसा है, जो सबसे अधिक होता है ।बाहर निकलो तो मन में सहानुभूति  होती है, कहीं कोई जीव ना दब  कर मर जाय।  रिक्शा  करते हैं तो रिक्शा वाले पर दया होती है-  कहीं बेचारे की हड्डी पसली टूट कर बिखर ना जाए ।लेकिन जब किराए की बात आती है ।तो मोटा आदमी टूटता है ।उसकी अंग-अंग  ढीले पड़ जाते हैं । और हाथी जैसा आदमी खुद से हल्का होने की कसमें खाता है। मोटे व्यक्ति को भी अपने बॉडी  के फायदे हैं । वह हवा में उड़ नहीं सकता । कम से कम तो कोई  निखतू   दोस्त तो नही कहेगा, आजकल बहुत  हवा में उड़ रहे हो ।अगर बीवी मोटी हो और गीतकार की बात माने तो बिस्तर पर लिटा तो गदे  की जरूरत नहीं पड़ेगी । मोटे आदमी को चैन कहीं  नहीं है ।उसे उठने- बैठने में दिक्कत ।कहीं जाता है, तो कोई कुर्सी ही नहीं मिलती है कि वह बैठे। अगर बैठे तो कुर्सी टूटने का डर।उसके नाप के कपड़े नहीं मिलता है । कभी-कभी टॉयलेट के दरवाजे पर खड़े मोटे व्यक्ति को धर्मराज उसके पापों के लिए यातना दे रहें है ।उसे ऐसा फीलिंग होती है। और वह क्षमा मुद्रा में हाथ जोड़े ,पैरों को मोड़कर दीवार से चिपक जाता है कि अब दिवार  ही इस  दारुण कष्ट के क्षण में उसका साथी है ।दिवार ही मनुष्य की विरह वेदना में अकेलापन में आंधी , बारिस- तूफान  और दुश्मनों के रक्षा में काम आता है ।जीवन के डूबती नैया को दिवार, अमिताभ को सहारा दिया था ।सबसे अधिक काम का चीन का दिवार  रहा है। जो हर मुश्किल में  अपने देशवासियों का रक्षा करता रहा है। लोग शादी के लिए खाते पीते घर का वर ढूंढते हैं ।मोटा व्यक्ति ही   ऐसे वर का प्रमाण है। इससे बेहतर कोई सबूत नहीं हो सकता ।क्योंकि मोटापा भी खाते -पीते घर की निशानी है। एक मोटा व्यक्ति होता  है ।जो चिंतित रहता  है ।उसे कहा जाता है ।क्यों टेंशन में हो ।चिंता मत करो यार -डोंट वरी लेकिन बंदा पलट कर बोलता है ।मैं चिंतित कहां हूँ । लेकिन मोटा व्यक्ति अपना दु:ख छुपा नहीं सकता ।इसलिए हर कोई मोटापा दूर करने का नुक्सा बताते रहता है। वह पास बैठे लोगों का भाषण सुनता रहता है ।जब कान पक जाता है। चुपके से उठ जाता है।सबसे ज्यादा लेक्चर तो घर में खाने पीने के परहेज पर होती है। कहीं कुछ मिठाई खाया कि हो हल्ला होने लगती है  । मिठाई  खाया नही कि घर पर बेचारे को डांट सुननी पड़ती है  कि ओ हवा मिठाई की तरफ फूल जाओगे लेकिन चिपक नही  सकते समझे और फिर वह बेचारा चुप । हर कोई मोटा भाई नहीं बन सकता। शहर के दिवार पर इश्तेहार लगा रहता है। मोटापा तीन महीने में छूमंतर। अखबार में विज्ञापन आता है। जिसमें एक महिला हाथ में फीता लेकर कमर नापती है ।वह स्लिम बॉडी- जीरो फिगर का कैप्सूल बेचती है । कई लोग टीवी पर तेल बेच रहे हैं। देश के युवा दण्ड – पेल से थक गए हैं ।वह कोई मोटापा दूर करने के लिए पंतजलि प्रोडक्ट चाहते हैं। कई बार उनका पेंट फट जाता है। उनका बार-बार बाबा से कनेक्शन कट जाता है ।बाबा बार-बार कहते हैं, करने से होता है। जबकि युवाओं का  कहना है ।इसी कारण देश का जीडीपी घट गया है  बाबा ! सबसे ज्यादा तो उसकी पत्नी आतंकित रहती है कि कहीं  गिर गए तो मेरी सांस  ही निकल जाएगी हे राम!

—- धर्मेन्द्र कुमार निराला निर्मल

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