
90 के दशक में एक गाना बहुत चला ।यह प्रेमियों के जुबान पर था। धीरे धीरे प्यार को बढ़ाना है ।हद से गुजर जाना है ।यह सिलसिला प्रेम गली से कॉर्पोरेट गली तक आ गई है। धीरे धीरे कस्टमर बढ़ाना है ।हद से गुजर जाना है ।आजकल कम्पनीयाँ शुरू में ग्राहकों को लॉलीपॉप खिला रहीं हैं, फ्री में और हम खा रहे हैं । मुफ्त का माल उड़ाने का हर कोई मजा लेना चाहता है। जब फ्री में मिल रहा है ।तो सभी एकजुट होकर मजा लेते हैं । लेकिन यह प्यार हद से गुजरता है। तो सभी कड़ाहने लगते हैं । कम्पनी का नीति सच्चाई का नीति है । वह पहले उद्घोषणा कर चुकी होती है ।कस्टमर यानी कष्ट से मर। धीरे-धीरे मर। पहले योजना सरकार लेकर आई- पहले आओ पहले पाओ।


इसे अंग्रेजी में फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व कहते हैं। और मैथ में फीफो। फिर भूखे करोड़पति इकट्ठे हो गए ।बाद में पता चला कई नेता बड़े काॅरपोरेट घराने से बोल चुके थे – पहले पवाओ फिर पाओ लेकिन प्रचार हुआ पहले आओ -पहले पाओ । बाद में कैग के रिपोर्ट में कई करोड़ घाटे का पता चला । कई सिम प्रदाता कंपनी बंद हो गई । अभी 2जी घोटाले में कई नेता फंसे हैं ।सीबीआई दरवाजे पर जा -जाकर वापस लौट रही थी। एक दिन वह मुड में आ गई ।सुपरमैन की तरह चारदीवारी फांदकर एक नेता जी को पकड़ लिया। ई-कॉमर्स के कई कंपनीयाँ ऑनलाइन खरीदारी पर ऑफर दे रही हैं। मजा है ।डबल मजा है । बरसों से हमारे बुजुर्ग आशीर्वाद देते रहे हैं। जियो जियो ।अब उनका आशीर्वाद फलीभुत हुआ है । शुरू में फ्री मे बात हुई ।लोगों की आदत हो गई ।आटा से सस्ता डाटा हो गया। कम समय में रिश्ता और समय दोनों बच रहा है ।और बात अनलिमिटेड हो रही है ।पूरा बायोडाटा लिया जा रहा है प्रेमियों में । अब जब कंपनी को लगा की कॉलिंग प्राइस बढ़ाना चाहिए । सभी ने मिलकर काँलिग प्राइस बढ़ा दिया । अब गरीब आदमी के लिए डाटा महँगा हो गया फिर भी पेट भरा हो या ना हो बात करना जरूरी है ।अब रिश्ता बचाने का प्रश्न हो गया है । 1 दिन कॉल नहीं जाने पर उधर से रिटर्न गिफ्ट में घमंडी , लापरवाह और इसके साथ दो चार गाली सौगात में मिल रहा है । 4G आ चुका है ।पहले एंटी क्लॉक- क्लॉक वाइज समझ में नहीं आता था ।अब समझ में आने लगा है। चक्र घूमता रहता है । इसे देखते-देखते आंखें पथरा जाती है। फिर भी बंदा एकांत साधना में लीन आजू बाजू भूल ; लिंक केंद्रित रहता है ।पहले व्यक्ति किसी काम से सरकारी ऑफिस जाता तो पूछा जाता आपका लिंक है ।नहीं हो तो बंदा काम को टाल देता था ।आज अगर आपका लिंक है ।तो उसका लिंक फेल है। पहले हर काम के लिए लिंक लगाया जाता। आज जुगाड़ पर लिंक भारी पड़ रहा है ।कभी – कभी कोई धमकी में कहता है ।हमारा लिंक दिल्ली तक है ।मतलब पहुंच संसद तक है ।तब सामने वाला बोलता है ; तो क्या उखाड़ लोगे। अब वह क्या बोले। वह सब कुछ कर देगा लेकिन उखाड़े गा नहीं । उसे मालूम है ।जड़ से उखाड़ देगा तो फिर लड़ेगा किससे ।कॉलिंग रेट बढ़ रहा है ।फिर भी कंपनी घाटे मे जा रही है ।अभी भी वही गीत गुनगुना रहे हैं । धीरे-धीरे कस्टमर बढ़ाना है। हद से गुजर जाना है। वे किस चीज में हद से गुजर जाएंगे रहस्यमय है।
——– धर्मेन्द्र कुमार निराला निर्मल
So nice to meet you here. Thanks for visiting me so I could find you!
do you have an english translation?
Hope so.. all the best, Cindy
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Same to you
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Kuch vaqt ke liye Laga me hindi ki kitab ka koi paath padh rahi hu
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Thanks
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😇😇🧚♀️♥️🌸
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Thank you very much for comment
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Quite funny!!😁😁😂😂
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Good morning. Thanks for comment
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😃
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Nicely penned
Stay wealthy healthy safe and happy
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धन्यवाद
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रुचिकर लेख ।वाह क्या बात कही। कष्टमर मतलब कष्ट से मर। बिल्कुल वैसे ही जैसे आने वाली नई बहू को सब आशीर्वाद देते हैं,’सदा सुहागिन रह’ मतलब पहले तू मरना ।’😃😃
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आपके प्रतिक्रिया के लिए कृतज्ञ हूँ ।
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🌻
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