किसे खबर है यहाँ किसपे क्या गुजर जाए
जो एक पल के लिए जिन्दगी ठहर जाए
सभी के ऐब हमारी नजर मे रहते हैं
मजा तो जब है कभी खुद पे भी नजर जाए
हजार तंज किसी पे असर नही करते
कोई जमीर की आवाज सुन के डर जाए
जो सिर्फ जिद है उस आवारगी से क्या हासिल
कुछ ऐसा काम करो जिन्दगी संवर जाए
जिसे मलाल हो आईना टूट जाने का
वो पत्थरों के नगर मे न भूल कर जाए
खिले जो फूल वफा के तो यूँ लगा जैसे
खिजां के बाद चमन खुश्बुओं से भर जाए
‘मृदुल’ तवील सफर है तू
एहतियात से चल,
कि तेरे पांव मे गर्दे- सफर
न भर जाए
————— मृदुल तिवारी
Thanks
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Nice
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Thanks.
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Thanks
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