वह सो रहा है
जगा दो उसे
मत सोने दो उसे
उठा दो उसे
गहन निद्रा से
कि वह
उड़ा चुका है बहुत
स्वपन परिन्दो को
कि देख ली है
बहुत उसने
काल्पनिक सुंदरताएं
जगा दो उसे
मत सोने दो उसे
टकराने दो उसे
जिंदगी के यथार्थ से
अभिभूत होने दो उसे
प्राकृतिक रसों के
आस्वादन से
रू-ब-रू होने दो उसे
वास्तविक प्रतिक और बिम्बों से
उपमाओ और उपमानो से
होने दो परिचित
धरती और आसमान से
आग और पानी
हवा और मिट्टी से
निरंतर
सृजन और विध्वंस से
उसे जगाओ
और बताओ
कि यह
कुरूप और कठोर दुनिया भी
बड़ी मुलायम और खूबसूरत है
कि रचना है उसे
एक नया इतिहास
पृष्ठ- पृष्ठ पर
लिखनी है उसे
जिंदगी की सुंदर
कविताएं
मत सोने दो उसे
जगा दो उसे।
————- हेमंत गुप्ता ‘ पंकज’: